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Shloka: | येषां योद्धा सव्यसाची कृतास्त्रो धनुर्येषां गाण्डिवंलोकसारम् । येषां भीमो बाहुशाली च योद्धा तेषां लोके किं नु न प्राप्यमस्ति ॥ |
Reference: | 3.29.5.0.10(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरण्यकपर्व>पञ्चमोऽध्यायः (05)>श्लोक#10) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरण्यकपर्व |
Adhyaya: | पञ्चमोऽध्यायः (05) |
Akhyana: | |
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