Index Search for 'लोकपुण्यम्' |
Shloka: | ततो विपाप्मा द्रविडेषु राजन्समुद्रमासाद्य चलोकपुण्यम् । अगस्त्यतीर्थं च पवित्रपुण्यं नारीतीर्थान्यथ वीरो ददर्श ॥ |
Reference: | 3.33.118.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>अष्टादशाधिकशततमोऽध्यायः (118)>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | अष्टादशाधिकशततमोऽध्यायः (118) |
Akhyana: | |
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