Index Search for 'लोकपालोपमान्वीरान्यूनः' |
Shloka: | केन द्रौपदि वृत्तेन पाण्डवानुपतिष्ठसि ।लोकपालोपमान्वीरान्यूनः परमसंमतान् । कथं च वशगास्तुभ्यं न कुप्यन्ति च ते शुभे ॥ |
Reference: | 3.38.222.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व>द्वाविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व |
Adhyaya: | द्वाविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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