Index Search for 'लोकपालैस्तु' |
Shloka: | समेत्यलोकपालैस्तु सर्वैर्वैवस्वतादिभिः । द्रष्टास्यनघ देवेन्द्रं स च तेऽस्त्राणि दास्यति ॥ |
Reference: | 3.35.164.0.5(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>चतुःषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#5) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | चतुःषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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