Index Search for 'लेलिहानम्' |
Shloka: | बन्द्युवाच - व्याघ्रं शयानं प्रति मा प्रबोधय आशीविषं सृक्किणीलेलिहानम् । पदाहतस्येव शिरोऽभिहत्य नादष्टो वै मोक्ष्यसे तन्निबोध ॥ |
Reference: | 3.33.134.0.3(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>चतुस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (134)>श्लोक#3) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | चतुस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (134) |
Akhyana: | |
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