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Shloka: | सतां धर्मेण वर्तेत क्रियां शिष्टवदाचरेत् । असंक्लेशेन लोकस्य वृत्तिंलिप्सेत वै द्विज ॥ |
Reference: | 3.37.200.0.42(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>द्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#42) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | द्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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