Index Search for 'लिङ्गधारणे' |
Shloka: | मनोविशुद्धिं बुद्धिं च भक्तिं रागं च भारत । यथोक्तं चक्रिरे देवाः सामर्थ्यंलिङ्गधारणे ॥ |
Reference: | 3.32.54.0.22(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>चतुःपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (54)>श्लोक#22) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | चतुःपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (54) |
Akhyana: | |
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