Index Search for 'लाभात्त्रिभिर्दिष्ट्या' |
Shloka: | समागमेन पुत्रस्य सावित्र्या दर्शनेन च । चक्षुषश्चात्मनोलाभात्त्रिभिर्दिष्ट्या विवर्धसे ॥ |
Reference: | 3.42.282.0.23(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्वयशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#23) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्वयशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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