Index Search for 'लभेयम्' |
Shloka: | मार्कण्डेय उवाच - ततस्तथा कृतवान्पार्थिवस्तु ततो मुनिं राजपुत्री बभाषे । यथा युक्तं वामदेवाहमेनं दिने दिने संविशन्ती व्यशंसम् । ब्राह्मणेभ्यो मृगयन्ती सूनृतानि तथा ब्रह्मन्पुण्यलोकंलभेयम् ॥ |
Reference: | 3.37.190.0.79(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>नवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#79) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | नवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|