Index Search for 'लभते' |
Shloka: | स्वबाहुबलमाश्रित्य योऽभ्युज्जीवति मानवः । स लोकेलभते कीर्तिं परत्र च शुभां गतिम् ॥ |
Reference: | 5.54.131.12.42(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>एकत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (131)>विदुरापुत्रानुशासनम्>श्लोक#42) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | एकत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (131) |
Akhyana: | विदुरापुत्रानुशासनम् |
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