Index Search for 'लभते' |
Shloka: | सुखं सुखेनेह न जातु लभ्यं दुःखेन साध्वीलभते सुखानि । सा कृष्णमाराधय सौहृदेन प्रेम्णा च नित्यं प्रतिकर्मणा च ॥ |
Reference: | 3.38.223.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व>त्रयोविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व |
Adhyaya: | त्रयोविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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