Index Search for 'लब्ध्वा' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच -लब्ध्वा कृष्णां सैन्धवं द्रावयित्वा विप्रैः सार्धं काम्यकादाश्रमात्ते । मार्कण्डेयाच्छ्रुतवन्तः पुराणं देवर्षीणां चरितं विस्तरेण ॥ |
Reference: | 3.43.294.0.42(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कुन्दलाहरणपर्व>चतुर्नवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#42) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कुन्दलाहरणपर्व |
Adhyaya: | चतुर्नवत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|