Index Search for 'लब्ध्वा' |
Shloka: | सत्यवानपि भार्यां तांलब्ध्वा सर्वगुणान्विताम् । मुमुदे सा च तंलब्ध्वा भर्तारं मनसेप्सितम् ॥ |
Reference: | 3.42.279.0.17(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>एकोनाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#17) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | एकोनाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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