Index Search for 'लब्धचक्षुर्बलवान्भवेन्नृपस्तव' |
Shloka: | सावित्र्युवाच - च्युतः स्वराज्याद्वनवासमाश्रितो विनष्टचक्षुः श्वशुरो ममाश्रमे । सलब्धचक्षुर्बलवान्भवेन्नृपस्तव प्रसादाज्ज्वलनार्कसंनिभः ॥ |
Reference: | 3.42.281.0.26(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>एकाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#26) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | एकाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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