Index Search for 'लज्जसे' |
Shloka: | यशस्विनस्तीक्ष्णविषान्महारथानधिक्षिपन्मूढ नलज्जसे कथम् । महेन्द्रकल्पान्निरतान्स्वकर्मसु स्थितान्समूहेष्वपि यक्षरक्षसाम् ॥ |
Reference: | 3.42.252.0.2(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्विपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#2) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्विपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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