Index Search for 'लङ्घने' |
Shloka: | तत्रान्ये व्याहरन्ति स्म वानराः पटुमानिनः । समर्थालङ्घने सिन्धोर्न तु कृत्स्नस्य वानराः ॥ |
Reference: | 3.42.267.0.25(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>सप्तषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#25) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | सप्तषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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