Index Search for 'लघुसत्त्वताम्' |
Shloka: | राजन्नद्यावगच्छामि तवेहलघुसत्त्वताम् । किमत्र चित्रं यद्वीर मोक्षितः पाण्डवैरसि । सद्यो वशं समापन्नः शत्रूणां शत्रुकर्शन ॥ |
Reference: | 3.39.238.0.38(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>घोषयात्रापर्व>अष्टत्रिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#38) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | घोषयात्रापर्व |
Adhyaya: | अष्टत्रिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|