Index Search for 'लक्ष्मणो' |
Shloka: | तथैवेन्द्रजितं यत्तंलक्ष्मणो मर्मभेदिभिः । इन्द्रजिच्चापि सौमित्रिं बिभेद बहुभिः शरैः ॥ |
Reference: | 3.42.269.0.12(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>एकोनसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#12) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | एकोनसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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