Index Search for 'लक्षये' |
Shloka: | सत्यवानुवाच - अभ्यासगमनाद्भीरु पन्थानो विदिता मम । वृक्षान्तरालोकितया ज्योत्स्नया चापिलक्षये ॥ |
Reference: | 3.42.281.0.105(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>एकाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#105) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | एकाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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