Index Search for 'लक्षयित्वेङ्गितं' |
Shloka: | लक्षयित्वेङ्गितं सर्वं प्रियं तस्मै निवेद्य च । वायुपुत्रे पुनः प्राप्ते नन्दिग्राममुपागमत् ॥ |
Reference: | 3.42.275.0.60(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>पञ्चसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#60) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | पञ्चसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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