Index Search for 'रघुनन्दनम्' |
Shloka: | प्रपतेद्द्यौः सनक्षत्रा पृथिवी शकलीभवेत् । शैत्यमग्निरियान्नाहं त्यजेयंरघुनन्दनम् ॥ |
Reference: | 3.42.262.0.36(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्विषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#36) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्विषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|