Index Search for 'त्र्यम्बकस्य' |
Shloka: | अर्जुन उवाच - ततस्तामवसं प्रीतो रजनीं तत्र भारत । प्रसादाद्देवदेवस्यत्र्यम्बकस्य महात्मनः ॥ |
Reference: | 3.35.164.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>चतुःषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | चतुःषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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