Index Search for 'त्रैलोक्यस्यापि' |
Shloka: | अरक्ष्यमाणान्येतानित्रैलोक्यस्यापि पाण्डव । भवन्ति स्म विनाशाय मैवं भूयः कृथाः क्वचित् ॥ |
Reference: | 3.35.172.0.21(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>द्विसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#21) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | द्विसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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