Index Search for 'त्रैलोक्यस्य' |
Shloka: | स्कन्द उवाच - त्वमेव राजा भद्रं तेत्रैलोक्यस्य ममैव च । करोमि किं च ते शक्र शासनं तद्ब्रवीहि मे ॥ |
Reference: | 3.37.218.0.19(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>अष्टादशाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#19) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | अष्टादशाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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