Index Search for 'त्रैलोक्यस्य' |
Shloka: | लोमश उवाच - समुद्रं ते समाश्रित्य वारुणं निधिमम्भसाम् । कालेयाः संप्रवर्तन्तत्रैलोक्यस्य विनाशने ॥ |
Reference: | 3.33.100.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>शततमोऽध्यायः (100)>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | शततमोऽध्यायः (100) |
Akhyana: | |
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