Index Search for 'त्रीण्येव' |
Shloka: | त्रीण्येव तु पदान्याहुः सतां वृत्तमनुत्तमम् । न द्रुह्येच्चैव दद्याच्च सत्यं चैव सदा वदेत् ॥ |
Reference: | 3.37.198.0.89(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>अष्टनवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#89) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | अष्टनवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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