Index Search for 'त्रिहायनान्' |
Shloka: | अथ स स्मारणं कृत्वा लक्षयित्वात्रिहायनान् । वृतो गोपालकैः प्रीतो व्यहरत्कुरुनन्दनः ॥ |
Reference: | 3.39.229.0.6(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>घोषयात्रापर्व>एकोनत्रिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#6) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | घोषयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकोनत्रिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|