Index Search for 'त्रिसामा' |
Shloka: | नाहत्वा तं निवर्तिष्ये पुरीं द्वारवतीं प्रति । सशाल्वं सौभनगरं हत्वा द्रष्टास्मि वः पुनः ।त्रिसामा हन्यतामेषा दुन्दुभिः शत्रुभीषणी ॥ |
Reference: | 3.31.21.0.9(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कैरातपर्व>एकविंशोऽध्यायः (21)>श्लोक#9) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कैरातपर्व |
Adhyaya: | एकविंशोऽध्यायः (21) |
Akhyana: | |
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