Index Search for 'त्रिषु' |
Shloka: | उन्नतेषून्नता षट्सु सूक्ष्मा सूक्ष्मेषु सप्तसु । गम्भीरात्रिषु गम्भीरेष्वियं रक्ता च पञ्चसु ॥ |
Reference: | 5.54.114.11.2(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>चतुर्दशाधिकशततमोऽध्यायः (114)>गालवचरितम्>श्लोक#2) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | चतुर्दशाधिकशततमोऽध्यायः (114) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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