Index Search for 'त्रिशूलखातं' |
Shloka: | त्रिशूलखातं तत्रैव तीर्थमासाद्य भारत । तत्राभिषेकं कुर्वीत पितृदेवार्चने रतः । गाणपत्यं स लभते देहं त्यक्त्वा न संशयः ॥ |
Reference: | 3.33.82.0.10(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>द्वयशीतितमोऽध्यायः (82)>श्लोक#10) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | द्वयशीतितमोऽध्यायः (82) |
Akhyana: | |
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