Index Search for 'त्रिदिवेश्वरस्य' |
Shloka: | तानप्यसौ मातलिरभ्यनन्दत्पितेव पुत्राननुशिष्य चैनान् । ययौ रथेनाप्रतिमप्रभेण पुनः सकाशंत्रिदिवेश्वरस्य ॥ |
Reference: | 3.35.161.0.25(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>एकषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#25) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | एकषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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