Index Search for 'त्रिदिवादिव' |
Shloka: | पुत्र उवाच - अकोशस्यासहायस्य कुतः स्विद्विजयो मम । इत्यवस्थां विदित्वेमामात्मनात्मनि दारुणाम् । राज्याद्भावो निवृत्तो मेत्रिदिवादिव दुष्कृतेः ॥ |
Reference: | 5.54.133.12.20(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133)>विदुरापुत्रानुशासनम्>श्लोक#20) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133) |
Akhyana: | विदुरापुत्रानुशासनम् |
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