Index Search for 'त्रिदिवं' |
Shloka: | मातलिर्मन्नियोगात्त्वांत्रिदिवं प्रापयिष्यति । विदितस्त्वं हि देवानामृषीणां च महात्मनाम् ॥ |
Reference: | 3.35.164.0.23(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>चतुःषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#23) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | चतुःषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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