Index Search for 'त्रिदशैर्विनिषूदिताः' |
Shloka: | ते पूर्वं तपसा दग्धा मुनिभिर्भावितात्मभिः । यतमानाः परं शक्त्यात्रिदशैर्विनिषूदिताः ॥ |
Reference: | 3.33.103.0.10(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>त्र्यधिकशततमोऽध्यायः (103)>श्लोक#10) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | त्र्यधिकशततमोऽध्यायः (103) |
Akhyana: | |
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