Index Search for 'त्रिदशैः' |
Shloka: | प्रीतैश्चत्रिदशैः सर्वैर्महर्षिसहितैस्तदा । वरं वृणीष्वेत्युक्तः स प्राञ्जलिः प्रणतस्तदा । अतीव मुदितो राजन्निदं वचनमब्रवीत् ॥ |
Reference: | 3.37.195.0.30(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>पञ्चनवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#30) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | पञ्चनवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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