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Shloka: | यस्य शूरस्य विक्रान्तैरेधन्ते बान्धवाः सुखम् ।त्रिदशा इव शक्रस्य साधु तस्येह जीवितम् ॥ |
Reference: | 5.54.131.12.41(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>एकत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (131)>विदुरापुत्रानुशासनम्>श्लोक#41) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | एकत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (131) |
Akhyana: | विदुरापुत्रानुशासनम् |
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