Index Search for 'त्रिजटां' |
Shloka: | ततो वरं ददौ तस्मै अविन्ध्याय परंतपः ।त्रिजटां चार्थमानाभ्यां योजयामास राक्षसीम् ॥ |
Reference: | 3.42.275.0.39(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>पञ्चसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#39) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | पञ्चसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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