Index Search for 'त्रिगर्तान्सैन्धवानपि' |
Shloka: | शिबीनिक्ष्वाकुमुख्यांश्चत्रिगर्तान्सैन्धवानपि । जघानातिरथः संख्ये बाणगोचरमागतान् ॥ |
Reference: | 3.42.255.0.28(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>पञ्चपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#28) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | पञ्चपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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