Index Search for 'त्रासयितुं' |
Shloka: | जयद्रथ उवाच - जानामि कृष्णे विदितं ममैतद्यथाविधास्ते नरदेवपुत्राः । न त्वेवमेतेन विभीषणेन शक्या वयंत्रासयितुं त्वयाद्य ॥ |
Reference: | 3.42.252.0.10(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्विपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#10) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्विपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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