Index Search for 'त्रायते' |
Shloka: | मूढो नैकृतिकश्चापि चपलश्च द्विजोत्तम । सुखदुःखविपर्यासो यदा समुपपद्यते । नैनं प्रज्ञा सुनीतं वात्रायते नैव पौरुषम् ॥ |
Reference: | 3.37.200.0.7(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>द्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#7) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | द्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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