Index Search for 'त्रातं' |
Shloka: | वामदेव उवाच - त्वयात्रातं राजकुलं शुभेक्षणे वरं वृणीष्वाप्रतिमं ददानि ते । प्रशाधीमं स्वजनं राजपुत्रि इक्ष्वाकुराज्यं सुमहच्चाप्यनिन्द्ये ॥ |
Reference: | 3.37.190.0.80(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>नवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#80) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | नवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|