Index Search for 'त्रस्ता' |
Shloka: | व्यभिचारात्तु सा तस्मात्क्लिन्नाम्भसि विचेतना । प्रविवेशाश्रमंत्रस्ता तां वै भर्तान्वबुध्यत ॥ |
Reference: | 3.33.116.0.8(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>षोडशाधिकशततमोऽध्यायः (116)>श्लोक#8) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | षोडशाधिकशततमोऽध्यायः (116) |
Akhyana: | |
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