Index Search for 'ज्ञेया' |
Shloka: | ये च मातृगणाः प्रोक्ताः पुरुषाश्चैव ये ग्रहाः । सर्वे स्कन्दग्रहा नामज्ञेया नित्यं शरीरिभिः ॥ |
Reference: | 3.37.219.0.42(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#42) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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