Index Search for 'ज्ञापयत्स्वं' |
Shloka: | दृष्ट्वा च तां वरारोहां चकमे चैत्रवाहिनीम् । अभिगम्य च राजानंज्ञापयत्स्वं प्रयोजनम् । तमुवाचाथ राजा स सान्त्वपूर्वमिदं वचः ॥ |
Reference: | 1.16.207.0.16(आदिपर्व>अर्जुनवनवासपर्व>सप्ताधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#16) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | अर्जुनवनवासपर्व |
Adhyaya: | सप्ताधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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