Index Search for 'ज्ञातुमिच्छामि' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच - ततो हृष्टमना राजा बृहदश्वमुवाच ह । भगवन्नक्षहृदयंज्ञातुमिच्छामि तत्त्वतः ॥ |
Reference: | 3.32.78.0.16(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>अष्टसप्ततितमोऽध्यायः (78)>श्लोक#16) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | अष्टसप्ततितमोऽध्यायः (78) |
Akhyana: | |
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