Index Search for 'छायेवानपगा' |
Shloka: | असंख्येयगुणो भर्ता मां च नित्यमनुव्रतः । भर्तारमपि तं वीरंछायेवानपगा सदा ॥ |
Reference: | 3.32.62.0.27(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>द्विषष्ठितमोऽध्यायः (62)>श्लोक#27) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | द्विषष्ठितमोऽध्यायः (62) |
Akhyana: | |
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