Index Search for 'घ्नन्ति' |
Shloka: | चङ्क्रम्यमाणा जीवांश्च धरणीसंश्रितान्बहून् । पद्भ्यांघ्नन्ति नरा विप्र तत्र किं प्रतिभाति ते ॥ |
Reference: | 3.37.199.0.25(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकोनद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#25) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकोनद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|