Index Search for 'घोरा' |
Shloka: | प्रायः शरैर्विनिहता महासेनेन धीमता । शेषा दैत्यगणाघोरा भीतास्त्रस्ता दुरासदैः । स्कन्दस्य पार्षदैर्हत्वा भक्षिताः शतसंघशः ॥ |
Reference: | 3.37.221.0.68(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#68) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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