Index Search for 'घोररूपं' |
Shloka: | वामदेव उवाच - यं त्वमेनं सायकंघोररूपं विषेण दिग्धं मम संदधासि । न त्वमेनं शरवर्यं विमोक्तुं संधातुं वा शक्ष्यसि मानवेन्द्र ॥ |
Reference: | 3.37.190.0.76(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>नवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#76) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | नवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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