Index Search for 'घोरमसंख्येयं' |
Shloka: | तद्धिघोरमसंख्येयं गर्जच्च विविधा गिरः । अभ्यद्रवद्रणे देवान्भगवन्तं च शंकरम् ॥ |
Reference: | 3.37.221.0.33(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#33) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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